Bhoot Ki Kahani | भूत की कहानी 2 डरावनी कहानियाँ
हैल्लो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में मैं आपको एक नही बल्कि कई सारी बेहतरीन और डरावनी भूत की कहानी बताने वाला हूँ क्यू की आजकल बच्चे bhoot ki kahani सुनने में कुछ ज़्यादा ही इंटरेस्ट रखते हैं एक समय ऐसा भी था जब मैं भी छोटा था और भूत की कहानी सुनना मुझे भी बहुत ज्यादा पसंद था लेकिन उस समय हमारे पास स्मार्टफोन नहीं हुआ करता था इस वजह से हम भूतों की कहानी अपनी दादी से सुनते थे लेकिन आज हमारे पास स्मार्टफोन है इस वजह से हम इंटरनेट के माध्यम से किसी भी तरह की कहानी को आसानी से पढ़ सकते हैं इसलिए बच्चे इंटरनेट पर भूत की कहानी सर्च करके पढ़ना बहुत पसंद करते हैं आइए अब बिना किसी देरी के हम आपको भूत की कहानी बताते हैं।
कहानी 1 – भूतिया रास्ता
अनत पहाड़ों के बीच एक भयानक रास्ते को पार करने पर एक गाँव पड़ता था उस गांव का पहला ही घर लोधी वंश वालों का था अपने नाम के अनुरूप उस वंश के लोगों को पैसों का काफी लालच था पैसे के लिए किसी भी नीच काम करने को तैयार रहते थे फ़िलहाल इतने बड़े घर में सिर्फ 3 लोग ही रहते थे रामू अपनी दूसरी पत्नी आरती के साथ और पहली पत्नी सरला के बेटे अप्पू के साथ रहता था अपने नाना के पिता से विरासत में मिले रुपयों की मोह में अँधा होकर रामू गाँव के लोगों को ब्याज पर पैसे उधार दिया करता था और फिर बाद में उनसे तीन गुना वसूल करता था पैसा न लौटाने की सूरत में गाँव वालों से उनके घर को और उनकी जमीन को हड़प लिया करता था और साथ ही उनके गाय भैंस को भी छीन लेता था इसी तरह से एक व्यक्ति ने पैसा नही दिया समय पर तो वो उसकी गाय हथियाने पहुँच गया ये देख कर उस व्यक्ति ने कहा मालिक दया करके मुझसे मेरी गाय को मत छिनिये यही गाय मेरे जीवन का सहारा है तो रामू ने कहा मुझसे लिए हुए पैसो को लौटा कर अपनी गाय को वापस ले जाना और अगर एक महीने में तुमने मेरा पैसा ब्याज सहित नही लौटाया तो मैं तुम्हारी गाय को कसाईखाने में बेच दूँगा इसी पैसे की लालच के चलते हुए रामू को अपने घर में बिल्कुल भी सुकून नही था पहली वाली पत्नी का बेटा अप्पू बचपन से ही विकलांग पैदा हुआ था चल फिर नही पाता था और बोल भी नही पाता था हमेशा एक ही कुर्सी पर बैठा रहता था एक दिन रामू से उसकी दूसरी वाली पत्नी ने कहा क्यू जी आप गाँव वालों से क्यू जबरन पैसा वसूल कर रहे हैं अगर आने वाली दस पीढ़ी भिबिस धन को बैठ कर खाये तो ये समाप्त नही होगा तो रामू ने कहा मेरे पास इतना पैसा है तो क्या मैं लोगों को मुफ्त में बाटने लगूँ।
तुम्हे कुछ नही पता अच्छा बन कर मैं अपने बेटे के लिए क्या बचा पाउँगा तो पत्नी ने कहा बेटा अब है कौन बस एक बचा है वो भी पूरी तरह से विकलांग है उठ कर खड़ा नही हो सकता पता नही किसके लिए इतनी मेहनत कर रहे हो तो रामू ने अपनी पत्नी को डाटतें हुए बोला चुपकर चाहे जितने पैसे खर्च हो जाये लेकिन मैं अपने बेटे अप्पू को ठीक कर के ही रहूँगा तभी काफी अँधेरा हो चुका था रामू बाहर गौशाला का दरवाजा बंद करने गया और फिर अपने घर के अंदर आया और अंदर बाहर की सारी लाइट बन्द कर दिया।
खिड़की और दरवाजे बंद करके सभी सो रहे थे अंधेरा होते ही गांव वालों के सभी के खिड़की और दरवाजे बंद हो जाते थे घने अँधेरे में पूरी रात बिताते थे अंधेरा होने के बाद घर से बाहर कोई भी नहीं आता था क्योंकि उनके घर के चारों ओर एक भूत घूमते रहता था अगर कोई बाहर आया तो उसका मरना तय था इतना ही नहीं अनंत गिरी पहाड़ी के बीच से उस गांव के आने वाले रास्ते पर रात होने के बाद कोई भी नहीं जाता था क्योंकि वो एक भूतों का रास्ता था लेकिन एक रात को कोई एक व्यक्ति उसी रास्ते में आ गया तभी पेड़ पर एक भूत बैठा था उसके सिर्फ आधे कटे हुए पैर ही दिख रहे थे बाकी का शरीर गायब था तभी अचानक वो पैर ऊपर से नीचे की तरफ आ गए और उस व्यक्ति के पीछे पीछे चलने लगे और साथ में खूब भयानक आवाजें आने लगी ऐसे में वो व्यक्ति काफी डर गया और अपनी चाल को बढ़ा कर तेज-तेज चलने लगा और मन ही मन सोचने लगा कि ये कौन है जो इतनी रात को इतनी भयानक आवाज निकाल रहा है वो व्यक्ति काफी डर गया और सोचने लगा मैं फालतू ही इस रास्ते पर आ गया और मन में कहने लगा हे गॉड अब आप ही बचाओ तभी अचानक उसे सामने एक पेड़ पर एक कटा हुआ हाथ लटकता हुआ दिखाई दिया जिसे देखकर वह काफी डर गया और चिल्ला कर भागने लगा बचाओ बचाओ भूत भूत बचाओ तभी उसके पीछे-पीछे वो हाथ भी चलने लगा और साथ ही वो कटे हुए पैर भी तभी अचानक उसके आगे एक कटा हुआ सर भी आ गया और वो कटा हुआ सर एक भूत का था जो देखने में बहुत डरावनी थी उसकी आँखे लाल थी दाँत बहुत बड़े बड़े थे और वो भूत कह रही थी मेरे मंगेतर से मेरे शादी कब होगी फिर वो हाहहाहाहाहाहा कर के हसने लगीं उसकी हँसी इतनी भयानक थी की उसे सुन कर वो व्यक्ति वही पर बेहोश हो कर गिर पड़ा तभी वो कटे हुए पैर और कटे हुए हाथ भी उस आदमी के पास आ पहुंचे और कटे हाथ उसकी गर्दन को दबाने लगें।
साथ ही जो कटे पैर थे वो उसके सीने पर ज़ोर-ज़ोर मारने लगे और उस कटे सर से अचानक मुह से एक लंबी सी जुबान निकली और उस आदमी का सारा खून चूसने लगी अब वो आदमी मर चुका था फिर अगली सुबह गाँव वालों को उस लाश के बारे में पता चला और सारे आदमी इकट्ठा हो गए और बात करने लगे की आज फिर से एक आदमी की मौत हुई है रात में सब बात करने लगे की अँधेरा होते ही रात में वो रास्ता इतना भयानक क्यू हो जाता है किसी को नही पता इसलिए आज ही इस रास्ते पर एक बोर्ड में लिख कर लगा दिया जाये की अँधेरा होने पर इस रास्ते से जाना खतरनाक है अगर जाओगे तो मारे जाओगे।
आगे bhoot ki kahani जानने के लिए बने रहें जब उस बोर्ड को लगाया गया लिख कर इसके बावजूद भी कोई न कोई रास्ता भटक कर उस भूतों की रास्ता में आकर अपनी जान गवा देता था लेकिन एक दिन रात को उस रास्ते की तरफ एक साधु जा रहा था तभी उसकी नज़र बोर्ड पर पड़ी जिस पर लिखा हुआ था कि इस रास्ते पर भूत है जाना खतरनाक है जाने पर मारे जाओगे इसे पढ़कर साधु हंसने लगा और कहने लगा तब तो मैं इसी रास्ते से जाऊंगा तभी वो साधु उसी रास्ते की तरफ जाने लगा साधु जैसे ही बीच रास्ते पर पहुंच गया तो उसे भूत देखने लगे और वो कटे हुए पैर और कटे हुए हाथ दोनों उसके पीछे-पीछे चलने लगे साधु को पता भी नहीं चला तभी अचानक सामने पेड़ से वो कटा हुआ भूत का सर भी साधु के सामने आ गया उसे देखकर साधु रुक गया भूत का कटा हुआ जो सर था वह फिर से यही बात कहने लगी ‘मेरे मंगेतर से मेरे शादी कब होगी’ और जोर जोर हँसने लगी उस भूत की भयानक हसीं और भयानक चेहरे को देखकर साधु बिल्कुल भी नहीं डरा साधु ने कहा मैं तेरे मंगेतर को लेने ही जा रहा हूं अगर तुम मुझे जाने देगी तो मैं तेरे मंगेतर को लेकर आऊंगा तेरी शादी करवाऊंगा तभी वह भूत साधु से कहने लगी क्या मेरे मंगेतर से मेरी शादी तू करवाएगा अगर ऐसा है तो जा तू मेरे मंगेतर को लेकर आ और मेरी शादी करवा दे पर ध्यान से साधु गांव जाने पर लोधी वालों के घर पर पैर नहीं रखना इतना कहने के बाद भूत गायब हो गई तभी साधु आगे जाने लगा और फिर वो उस गांव पहुंच गया उसने देखा कि एक पहले ही घर की तरफ एक घोड़ा चारों तरफ टहल रहा है और वो घोडा बुरी तरह से खून से लथपथ है तभी साधु ने देखा दो कंकाल एक पालकी को लिए चले जा रहे थे जिसमें दुल्हन बैठी हुई थी और उस दुल्हन का सर नहीं था साधु ये सब देखकर हैरान था तभी साधु ने देखा कि वो दोनों कंकाल लोधी के घर के सामने उसी घोड़े के साथ-साथ टहलने लगे फिर साधु ने अपने मंत्र जल को निकाला और मंत्र पढ़कर उस जल को घर की तरफ छिड़क दिया तभी वो कंकाल और घोडा गायब हो गए फिर साधु उस घर के दरवाजे को खटखटाने लगा लेकिन किसी ने भी दरवाजा नहीं खोला।
फिर साधु वहां से आगे बढ़ गया और जाकर गांव के बीच में एक पेड़ के नीचे बैठ गया अगले दिन पैदल जब साधु जाने लगा तो उसे गाँव के प्रधान ने देखा और बोला श्रीमान आप दिखने में सर्वशक्तिमान दिख रहे हैं हमारे गाँव की एक समस्या है।
कृपया करके आप ही हमारे गाँव वालों को बचा सकते हैं फिर प्रधान ने सारी समस्या को साधु के सामने रखा तभी साधु ने कहा हाँ कल रात ही देखा था मैंने उन भूतों से बचाये बिना आप लोगों को छोड़ कर मैं इस गाँव से नही जाऊँगा गाँव का प्रधान खुश हो गया और उसने साधु को धन्यवाद बोला फिर प्रधान ने कहा आइये स्वामी जी आप मेरे घर में आने का कष्ट करें तभी साधु ने कहा नही मैं लोधी वंश वालों के घर में ही रहूँगा तभी प्रधान ने कहा नही नही स्वामी वहां मत जाना वहां तो भूतों का पहरा रहता है वहां रहने खतरनाक है और ऊपर से उस घर वाले बहुत ही ज़्यादा कंजूस हैं साधु ने कहा फिर भी मुझे वहीँ रहना होगा उसके घर में रह कर ही मैं उन भूतों को भगा कर इस गांव के समस्या को दूर कर सकता हूँ ऐसा कहने के बाद साधु लोधी के घर की तरफ चल पड़ा जब साधु लोधी के घर पहुंचा तो रामू घर पर नही था उसकी पत्नी ने साधु को घर में भोजन कराया तभी वहां रामू आगया और कहने लगा कौन है ये और तुम क्यू इसे भोजन करा कर मेरे पैसों को बर्बाद कर रही हो फिर रामू ने साधु से कहा दादा आप भोजन के पैसे दे दीजिए और यहां से जाइये साधु हँसने लगा और कहने लगा मेरे पास पैसे कहाँ से आएंगे बेटा मैं तो एक सन्यासी हूँ रामू न कहा सन्यासी बोलकर मुफ्त में भोजन करते हुए तुम्हे शर्म नही आती है साधु ने कहा मुफ्त में नही बेटा मेरे द्वारा कमाए गए पुण्य को तुम्हे भी दूँगा।
रामू ने कहा तुम्हारे पुण्य या पकौड़े मुझे नही चाहिए तुम खाये हुए भोजन के पैसे देकर यहां से जाओ फिर रामू के पत्नी ने कहा स्वामी वो ऐसे ही बोलते हैं आप जो भी पुण्य देना चाहते हैं मेरे बेटे अप्पू को देकर अपनी कृपया बरसाएं ऐसा सुनने पर साधु ने अपने मन्त्र वाले जल को निकाला बिस्तर पर लेटे हुए अप्पू के ऊपर छिड़कते ही।
अप्पू उठ कर खड़ा हो गया और बोलने भी लगा ये सब देख कर रामू का सिर चक्रा गया और कहा स्वामी मुट्ठी भर जल में इतनी शक्ति है लाखों रूपये खर्च करने के बाद भी मेरा बेटा ठीक नही हो पाया था और अपने एक मुट्ठी जल से ही ठीक कर दिया साधु ने कहा शक्ति जल में नही है बेटा पुण्य में है इतने में ही अंधेरा होने लगा रामू हड़बड़ी में खिड़की और दरवाजे बंद करने लगा तो साधु ने पूछा इतनी हड़बड़ी में क्यों बंद कर रहे हो रामू ने कहा अंधेरा बढ़ते ही खतरा बढ़ जाता है स्वामी रामू ने सारी बातें साधु को बताया साधु ने कहा मुझे सब पता है बेटा तुम्हारे बारे में तुम्हारे पूर्वजों के बारे में और इस गांव के बारे में तुम्हारे द्वारा की गई गलती के कारण गांव वालों की बलि क्यों ले रहे हो तुम्हारी गलती की वजह से ही तुम्हें अपाहिज बेटा पैदा हुआ बच्चे को जन्म देते ही तुम्हारी पहली वाली पत्नी मर गयी दूसरी शादी होने के 8 साल बाद भी कोई बच्चा पैदा नही हुआ और न ही तुम्हे कोई संतान होगी रामू ने कहा क्या हमारी गलती के कारण गांव वालों को परेशानी हो रही है इतने दिनों तक मुझे ये बात पता नहीं थी स्वामी ऐसी हमने कौनसी गलती कर दी स्वामी हमारे क्या करने पर इन भूतों की समस्या दूर होगी साधु ने कहा मेरे कहे हुए अनुसार करो उस बिना सिर वाले धड़ की पालकी और खूनी घोड़े के आने से पहले तुम अकेले ही उस भूतों की रास्ता में जाओ रामू ने कहा अरे लेकिन गांव के बाहर प्रवेश करके कभी मत जाना ऐसा मेरे पिता ने कहा था और कसम भी ली थी उन भूतों के रास्ते जाते ही मैं उन भूतों के हाथ मारा जाऊंगा मैं वहां नहीं जाऊंगा स्वामी साधु ने कहा जाना पड़ेगा बेटा और कोई मार्ग नहीं है मेरा विश्वास करो और जाओ मेरे कहे अनुसार करो तुम्हें कुछ नहीं होगा रास्ते में कोई भी दिखे तो डरना मत वे जो मांगते हैं उन्हें दे देना मना मत करना और रास्ते भर यही बोलते जाना की ‘मैं मल्लिका की शादी में जा रहा हूं मेरा रास्ता छोड़ दो’ तभी रामू जाने लगा।
और कहते गया मैं मल्लिका की शादी में जा रहा हूं कृपया रास्ता छोड़ दो ऐसा कहते हुए रामू आगे बढ़ रहा था बाहर निकलते ही घोड़ा तेजी से रामू की तरफ पढ़ने लगा रामू बोलते गया मैं मल्लिका की शादी में जा रहा हूं कृपया रास्ता छोड़ दो रामू रास्ते भर यही बात बोलते चला जा रहा था आगे मुड़ते उड़ते हुए उसे दो कंकाल पालकी के साथ दिखे उसमें बिना सिर की दुल्हन बैठी हुई दिखाई देती है और उसके धड़ से लगातार खून बह रहा था रामू उसे देखकर डर कर और तेजी से बोलने लगा मैं मल्लिका की शादी में जा रहा हूं मेरा रास्ता छोड़ दो।
तभी वो पालकी और कंकाल अचानक से गायब हो गए रामू अकेले ही भूतों की रास्ते में चला जा रहा था उसे डरावनी और भयानक आवाजें सुनाई दे रही थी ऐसे ही रामू धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था और एक बात बोले जा रहा था मैं मल्लिका की शादी में जा रहा हूं मेरा रास्ता छोड़ दो तभी उसके सामने भूत का कटा हुआ सिर आ गया तभी उस भूत ने कहा ओह मल्लिका की शादी में जा रहा है इसका मतलब मेरी शादी में जा रहा है रामू भूत को देखकर डर के मारे कांप रहा था लेकिन उसने फिर कहा मैं मल्लिका के शादी में जा रहा हूं तभी भूत ने कहा तो फिर शादी में क्या उपहार दे रहे हो तुम रामू ने कहा क्या चाहिए तुम ही बताओ भूत ने कहा तुम्हारे शरीर पर मौजूद सारा सोना मुझे दे दो नहीं सीधा शमशान घाट जाओगे इतना कहकर भूत हंसने लगी रामू की इच्छा ना होते हुए भी शरीर का पूरा सोना भूत को दे दिया सर बहुत ने कहा जाओ जाओ मल्लिका की शादी में जाओ रामू ने कहा शादी के मंडप का रास्ता किधर से है भूत ने कहा सीधे जाओ ऐसा बोलकर भूत गायब हो गई रामू सीधे जाने लगा तभी उसके पीछे से एक कटा हाथ आया और उसके पीठ पर मारने लगा तभी रामू ने कहा मैं मल्लिका के शादी में जा रहा हूं तभी उस हाथ से आवाज आई अरे तुम मेरी बेटी के शादी में जा रहे हो क्या उपहार दोगे तुम रामू ने कहा क्या उपहार चाहिए तुम ही बताओ उस हाथ से आवाज आई तुम्हारे शरीर पर मौजूद सारे कपड़े चाहिए रामू ने उसके कहे अनुसार सारे कपड़े उतार कर उसे दे दिया आशा करता हूं भूत की कहानी आपको अच्छी लग रही होगी बने रहे इस कहानी पर फिर रामू ने उस कटे हुए हाथ से कहा मुझे यह तो बताओ की मंडप का रास्ता किधर है उस कटे हुए हाथ से आवाज आई सीधे चले जाओ फिर वो भूत का हाथ गायब हो गया।
रामू सीधे आगे बढ़ते गया तभी उसके पीछे कटे हुए पैर भी आने लगे रामू बोलते जा रहा था मैं मल्लिका की शादी में जा रहा हूं तो पैर से आवाज आई ओहो तो तुम मेरी पोती की शादी में जा रहे हो।
बताओ शादी में क्या उपहार लाए हो रामू ने कहा क्या चाहिए तुम ही बता दो पैर से आवाज आई तुम्हारे पास क्या बचा है देने को कमर पर चड्ढी बची है और सर पर बाल बचे हैं ठीक है तुम अपना बाल दे दो देने की इच्छा ना होते हुए भी रामू ने उसके द्वारा दिए गए चाकू से अपने बाल काट कर उसे दे दिए फिर रामू ने पूछा शादी के मंडप का रास्ता किधर है फिर उस पैर से आवाज आई दाएं दिशा की ओर चले जाओ ऐसा बोलकर भूत का पैर भी वहां से गायब हो गया रामू दिशा की ओर जाने लगा वहां बहुत अंधेरा और घने पेड़ पौधे थे जाते-जाते घने अंधेरे के कारण रामू पानी के गड्ढे में गिर गया बहुत कोशिश करने के बाद भी उस गड्ढे से बाहर नहीं आ पा रहा था वह कोई गड्ढा नहीं बल्कि खाई था रामू धीरे-धीरे नीचे की तरफ डूबते जा रहा था जान जाने ही वाली थी उसी गड्ढे से तीन कंकाल निकलकर ऊपर आए और तीनों एक दूसरे से पेड़ में लम्बा लम्बा बंध गए और रामू के सर को पकड़कर उस गड्ढे से ऊपर खींच लिया और खाईं से बाहर फेंक दिया अगले दिन सुबह सूरज की रोशनी पढ़ने से रामू होश में आया वहां से भाग कर आया और पूरी बात साधु को बताई तुरंत सारे गांव वालों की मदद से उस खाई में मौजूद सारे नर कंकाल को बाहर निकालकर रामू के घर के आंगन में एक लाइन से लगाकर रख दिया गया साधु ने कहा आज रात सभी स्नान करके सिर को अच्छी तरह से धोकर और पैरों में चप्पल पहन कर सोएंगे अगली सुबह तक घर से बाहर कोई नहीं निकलना फिर अंधेरा हो गया तब हर किसी ने साधु के कहे अनुसार किया लोधी के आंगन में सारे नर कंकाल को लाइन से बिछाकर साधु ने तांत्रिक पूजा शुरू किया।
साधु मंत्र पढ़ने लगा उसमें से एक नर कंकाल ने उठकर बात करना शुरू किया उस कंकाल ने कहा मेरी बेटी के शादी को ज्यादा समय नहीं बचा है मुझे जाने दो साधु ने कहा कौन हो तुम सारे लोग उस खाई में गिर कर कैसे मर गये तुम लोग तभी उस कंकाल ने कहा हम खाई में गिर कर नहीं मरे हमें मार दिया गया आज से लगभग 37 साल पहले मेरी बेटी की शादी मल्लीपुल्ली गाँव में होनी थी।
हम तीनो लोग अपने गांव से शादी मनाने निकले नजदीक होने के कारण हम लोगों ने इस अनंत पहाड़ वाले रास्ते को चुना फिर हम लोग इस गांव में पहुंच गए बहुत दूर से आने के कारण हम सारे लोग काफी थक गए थे तभी हमें लोधी वालों का घर दिखा हमने उनसे बताया श्रीमान कल मल्ली पुल्ली गांव में शादी है हम सारे लोग काफी थक गए हैं अगर आप हमारे लिए कुछ खाने की व्यवस्था कर दें तो आज रात यही विश्राम करके कल सुबह हम लोग यहां से चले जाएंगे हमें मुफ्त में कुछ नहीं चाहिए हम जो कुछ भी खाएंगे उसके बदले में आपको उसकी कीमत दे देंगे तभी लोधी वंश घर वालों की नजर दहेज के समान पर पड़ी और नगद पैसों पर पड़ी साथी दुल्हन के शरीर पर सोने पर पड़ी ऐसे में उनकी नियत बिगड़ गई और उन्होंने खाने में नशीला पदार्थ मिला दिया इस कारण हम लोग गहरी नींद में सो गए उसके बाद लोदी वंश घरवालों ने हम सब को एक रस्सी में बांधकर घसीटते हुए उस खाई में फेक दिया तभी लोधी वंश घर वालों ने आपस में बात किया कि दोनों नौकर जिंदा बच गए हैं अभी अगर हम इन्हें खाई में फेकने ले जाएंगे तो गांव वालों की नजर पड़ जाएगी क्योंकि थोड़ी सुबह हो चुकी थी तभी वो आपस में बात करने लगे कि हमें कुछ करना होगा नहीं तो गांव वालों को शक हो जाएगा इसलिए पूरी तरह सुबह होने से पहले लोधी वंश घर वालों ने अपने घर के आंगन में एक बड़ा गड्ढा खोदा उस गड्ढे में पालकी लेकर आए दोनों नौकरों को और घोड़े को दुल्हन को जिंदा ही दफन कर रहे थे।
तभी दुल्हन बोल रही थी मेरी शादी मेरे मंगेतर से हो रही है मुझे छोड़ दो लेकिन उन लोगों ने किसी को भी जिंदा नहीं छोड़ा और सब को गड्ढे में दफन कर दिया।
फिर उस कंकाल ने बताया कुछ सालों बाद खाई से बाहर मेरे हाथ और मेरे पिता के पैर और उनके घर में गड़ी मेरी बेटी का सिर कुछ आवारा कुत्तों ने निकाल दिया और उस गांव के रास्ते में डाल दिया तब से लेकर अब तक बदले की आग में जलते हुए भूत प्रेत की आत्मा के रूप में हम भटक रहे हैं आपकी वजह से हम लोगों को बाहर आने का मौका मिला हमारा अंतिम संस्कार करके हमारी आत्मा को शांति प्रदान करें स्वामी यह सारी बातें सुनकर रामू को अपने नाना और पिता पर नफरत होने लगी फिर तुरंत सारे कंकालों का अंतिम संस्कार करके उन सभी पैसों को गरीब जनता में बांट दिया अब रामू की घर की तरफ जो भी जाता रामू उसे पेट भर भोजन खिलाता और हर तरह से उसकी सहायता करने लगा अब रामू अपने बेटे और पत्नी के साथ मिलकर ईमानदारी से मेहनत करने लगा और पैसे कमाने लगा अपने परिवार के साथ हंसी-खुशी जीवन बिताने लगा।
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तो ये थी हमारी पहली bhoot ki kahani मुझे उम्मीद है आपको यह कहानी बहुत अच्छी लगी होगी आइये अब हम बढ़ते हैं अपनी दूसरी भूत की कहानी की तरफ पोस्ट पर लास्ट तक बने रहें।
Bhoot Ki Kahani | भूत की कहानी
एक समय की बात है अमावस्य की आधी रात को एक गांव के कब्रिस्तान में दुल्हन के भेष में खूबसूरत लड़की कब्र की दूसरी तरफ मुंह करके बैठी हुई थी और हाथ में चमेली के फूलों की माला घुमा रही थी उस माला से चमेली के फूलों की मदहोश करने वाली खुशबू निकलकर घने धुएं में बदलकर पूरे गांव में छा रही थी और वह लड़की बोल रही थी आइए स्वामी आइए मैं यहां हूं मैं आपकी ही राह देख रही हूँ आइए ना मेरे पास स्वामी उन फूलों की महक से सारे गांव के लोग पशु पक्षी सभी प्राणी गहरी नींद में सो जाते हैं मदहोश करने वाले धुंए में सांस लेते हुए गांव का एक व्यक्ति भूतनी की पुकार सुनकर भूतनी के वश में हो जाता है वा कब्रिस्तान की तरफ चल कर जाता है और भूतनी के पीछे खड़ा हो जाता है भूत ने तुरंत माला घुमाना बंद करके पीछे मुड़कर देखती है और भयानक तरीके से हंसती है उस भूतनी की पीली आंखें थी और उसका शरीर पूरी तरह से नीला पड़ा हुआ था और आगे दो नुकीले दांत थे और उसके दातों में खून लगा हुआ था फिर दूसरे दिन सुबह दो व्यक्ति बाइक से चले जा रहे थे तभी जो व्यक्ति बाइक चला रहा था उसने एक जगह पर बाइक रोक दिया तभी दूसरे व्यक्ति ने कहा तुमने बाइक यहां पर क्यों रोक दिया तो फिर उस व्यक्ति ने जवाब दिया कहा था ना तुम्हें मैं एक अजीब चीज दिखाऊंगा चलो दिखाता हूं।
तभी दूसरा व्यक्ति कहता है अरे हां कहीं यह वही घर तो नहीं फिर वह कहता है हां यह वही घर है मैंने तुमसे कहा था ना मैं तुम्हें वही दिखाने लाया हूं तो उस व्यक्ति ने कहा मजाक मत करो मैंने ऐसे कई घर देखे हैं फिर दूसरे वाले व्यक्ति ने कहा पहले तुम अंदर तो जाओ फिर देखो फिर उस व्यक्ति ने कहा ठीक है मैं अंदर जाता हूं अगर अंदर अजीब नहीं लगा न तो मैं तुम्हें देख लूंगा।
फिर जब वह व्यक्ति अंदर से बाहर लौट कर आया तो दूसरे वाले व्यक्ति ने कहा क्यों सीनू अंदर जाकर लगा न अजीब फिर सीनू ने कहां हां मैंने अपने पूरे जीवन में ऐसी चीज नहीं देखी ये सच में अजीब है पता नहीं यह ऐसा क्या कर रहा है मुझे देखकर आश्चर्य हो रहा है फिर सीनू के साथी ने कहा चलो उस पेड़ के नीचे बैठते हैं फिर सीनू के साथी ने बताया सीनू इस गांव में 80 साल पहले एक भूत की मौत हुई थी सीनू ने कहा क्या भूतनी मर गई अगर कोई मरता है तभी तो वह भूत बनता है अजीब है भूत का मरना फिर सीनू के साथी ने बताया इस कस्बे का नाम कबूतपुर है इसका मतलब कबूतर होता है कुछ साल पहले इस गांव के अंदर बहुत ज्यादा कबूतर रहते थे इसलिए इस गांव का नाम का कबूतपुर रख दिया गया था सीनू ने कहा हां मुझे मालूम है कबूतर बहुत ऊंची उड़ान भर सकते हैं यहां तक की वो 25 मील दूरी पर रखी चीज़ भी देख सकते हैं सीनू ने कहा आखिर हुआ क्या है यहां कबूतर की पूजा क्यों की जा रही है कबूतर के सिर वाला आदमी कौन है मुझे बताओ तुम तभी सीनू के साथी ने बताया कई साल पहले एक अमावस्या के अगले दिन सुबह हो रही थी कोई रो रहा था सभी अपने घरों से डरे हुए बाहर निकले तभी उन्होंने ध्यान दिया दूर एक घर में किसी बूढ़ी औरत के रोने की आवाज सुनाई दे रही थी सभी लोग उसके पास पहुंच गए और उस बूढ़ी औरत से रोने का कारण पूछने लगे बूढ़ी औरत ने बताया मेरा पोता दिखाई नहीं दे रहा है पता नहीं मेरा लाल कहां चला गया है पता नहीं उसका क्या हुआ होगा फिर एक आदमी ने बोला दीदी डरने की बात नहीं है हम आप के पोते को ढूंढ लेंगे चलो खोजते हैं यह कहते हुए गांव के कई लोग उसके पोते को खोजने के लिए निकल पड़े अंत में कब्रिस्तान की तरफ गये तो कब्रिस्तान का गेट खुला देख कर शमशान की तरफ तेजी से भागने लगे वहां कब्र के बीच बूढ़ी दादी के पोते को पड़ा हुआ देखा।
यह देखकर सभी आश्चर्यचकित हो गए अंत में लड़के को ले जाकर एक पलंग पर लिटा दिए और फिर उस बूढ़ी दादी से बताया की दीदी तुम्हारा पोता कब्रिस्तान पर पड़ा था दादी अपने पोते को इस हालत में देख कर बहुत दुखी हुई सभी गांव के लोग उदास होकर वहीं खड़े थे और दादी को सहस बंधाने की कोशिश कर रहे थे।
फिर एक आदमी दादी की बगल में बैठ कर बोलने लगा आखिर गांव में यह क्या हो रहा है हर अमावस्या के दिन आधी रात के बाद किसी ना किसी घर का कोई सोया हुआ आदमी अनजाने में नींद में चलकर कब्रिस्तान पहुंच जाता है और दूसरे दिन कब्रिस्तान पर पाया जाता है फिर कुछ ही दिनों में लाइलाज बीमारी से मर जाता है पता नहीं मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा फिर एक दूसरे आदमी ने कहा आप ही कोई हल निकाल सकते हैं अब तक बहुत सारे लोग मर चुके हैं हम सभी बहुत डरे हुए हैं कहीं यह सब किसी भूत-प्रेत का तो काम नहीं एक आदमी ने कहा भूत प्रेत कुछ नहीं होते अब से मैं किसी के साथ भी इस गांव में ऐसा होने नहीं दूंगा मैं तुरंत मंडली पहुंच इस समस्या का हल ढूंढ कर ही वापस आऊंगा आप सब लोग मेरी बात सुनकर बिना डरे अपने घर में ही रहिए सभी लोग उस आदमी की बात सुनकर अपने अपने घर चले जाते हैं फिर वह आदमी मंडली गांव के लिए निकल जाता है और एक स्वामी के आश्रम में पहुंचता है फिर वो आदमी स्वामी जी के हाल-चाल पूछता है फिर स्वामी जी उस आदमी से पूछते हैं आज इधर आना कैसे हुआ फिर उस आदमी ने अपने गांव में हो रही घटना के बारे में सब कुछ विस्तार से बताया और कहां स्वामी जी हमारे गांव के लोग बहुत ज्यादा डरे हुए हैं.
उन्हें लगता है कि यह सारा काम किसी भूत-प्रेत का है आखिर रात को क्या होता है यह जानने कि मैंने बहुत कोशिश की लेकिन कुछ पता नहीं चला और फिर जिस व्यक्ति के साथ यह सब होता है उसे दूसरे दिन कुछ याद भी नहीं रहता है स्वामी जी अब आप ही बचा सकते हैं फिर स्वामी जी उस आदमी से कहते हैं इधर आओ यहां बैठो तुम्हारे गांव में क्या हुआ था तुम्हें सपने में दिखाऊंगा डरना नहीं फिर स्वामी जी कुछ मंत्र पढ़ते हैं इसके बाद उस आदमी को अमावस्या वाले दिन क्या हुआ था.
सब सपने में दिखाई पड़ने लगता है उसे सपने में दिखता है कि सब लोग सो रहे हैं कुछ लोग अपने परिवार की रखवाली कर रहे थे तभी दादी का पोता उस भूत औरत के पास पहुंच जाता है और वह उसे जैसे ही छूती है वह बेहोश होकर वहीं पर गिर जाता है यह सब सपने में देख कर वह आदमी बोला स्वामी जी मुझे बहुत डर लग रहा है पता नहीं वह लड़की कौन है तभी स्वामी जी ने बताया वो कामिनी भूतनी है कुछ साल पहले देश की शांति के लिए कुछ ऋषि-मुनियों ने पैदल पूरे देश का पर्यटन किया इस तरह वो घूमते घूमते तुम्हारे गांव कबूतपुर आ पहुंचे तभी उसमें से एक ऋषि गांव में कबूतरों को दाना खिलाते वक्त गांव की एक सुंदर लड़की की नजर पर पड़ी उस लड़की को ऋषि से प्यार हो जाता है तुरंत कागज के एक टुकड़े पर उसे लव लेटर लिख कर देती है ऋषि कागज को फाड़ देता है और बिना ध्यान दिए ही वहां से निकल जाता है उसी दिन शाम को वह लड़की कोमली शाम को फिर से ऋषि के पास आती है ऋषि उस लड़की पर ध्यान दिए बिना अपनी पूजा की सामग्री इकट्ठा करने पर लगा रहता है तभी कोमली ने ऋषि से कहा आप बहुत खूबसूरत हैं पर अपनी उम्र इस तरह से बर्बाद क्यों कर रहे हैं मुझसे शादी कर लीजिए कृषि कहता है देखो कोमली मैं एक सन्यासी हूं मुझे शादी बच्चे और घर संसार इन सब से कोई मतलब नहीं है फिर कभी मेरे पीछे मत आना चली जाओ यह कहते हुए ऋषि वहां से चला जाता है अगले दिन कोमली को खबर मिलती है कि ऋषि गाँव छोड़कर जा रहा है तब वह फिर से ऋषि के पास जाती है तुरंत कोमली ऋषि के पांव पकड़ लेती है फिर गांव वाले गुस्से में कोमली को बहुत डांटते हैं फिर ऋषि कहता है रुके रुके गुस्सा मत करिए हम लोग अपने देश की शांति के लिए अपने गुरु के आदेश के अनुसार हर गांव में जाकर भिक्षा मांगने वाले हैं तुम अपने लायक किसी अच्छे लड़के से शादी कर लो और सुख पूर्वक जीवन बिताओ कोमली कहती है मैं आपको बहुत चाहती हूं आपके बिना नहीं रह सकती फिर ऋषि कोमली से कहता है की देखो जो मुझे कहना था मैंने कह दिया है अब मेरे पैर छोड़ो हमारे पास समय नहीं है.
हम साधु हैं संसार से कोई मतलब नहीं है पैर छोड़ो कोमली कहती है ठीक है शादी करने की कोई जरूरत नहीं है पर मैं फिर भी आपके साथ रहूंगी आप बस मेरे हो ऋषि कहता है छी दुष्ट पापिन मुझे छोड़ दो ऋषि कोमली को छोड़कर अपने पूरे ग्रुप के साथ आगे बढ़ जाता है तभी कुछ ग्रामीणों के लोग कोमली को छी छी भी कहते हैं कुछ लोग उस पर हंसते हैं तो कुछ लोग उससे नफरत करके उसे बगल में ढकेल कर ऋषियों के साथ गांव के सरहद तक जाते हैं.
कोमली फिर से डालकर ऋषि के पास चली जाती है और ऋषि से कहती है मुझे एक वरदान दीजिए ऋषि कहता है मुझसे विवाह के सिवा कुछ भी मांग लो कोमली कहती है आप पहले अपने गुरु जी की कसम लीजिए कि आप मेरे मांगे हुए वरदान को मना नहीं करेंगे ऋषि कहता है मैं अपने गुरु की कसम खाता हूं मैं तुम्हें प्यार और विवाह के सिवा तुम जो मांगोगे तुम्हें दूंगा कोमली कहती है मनुष्य के हाथों से और ना ही किसी हथियार से मेरी मृत्यु होना चाहिए ऋषि उसे यह वरदान दे देता है फिर कोमली ऋषि को कसकर पकड़ लेती है और उसे मौत के घाट उतार देती है बाकी के ऋषि एक-दूसरे का हाथ पकड़ते हैं और मंत्र पढ़ते हुए कोमली को वश में कर के बगल में मौजूद कब्रिस्तान में ले जा कर फेंक देते हैं फिर सभी ऋषि कहते हैं कोमली अब दोबारा कभी इस कब्रिस्तान से बाहर नहीं आ सकेगी अमावस्या के दिन हमारे मंत्र की शक्ति थोड़ा कम रहेगी इस कारण वह भयंकर रूप धारण करेंगी और जो चाहेगी कर सकेगी इसलिए आप सभी लोग केवल उस दिन सावधान रहिएगा कभी भी कोई कब्रिस्तान की तरफ मत जाइएगा ऐसा कहकर सारे ऋषि वहां से चले गए हर अमावस्या की रात वह कामिनी भूत के रूप में बदल कर गांव में मदहोश करने वाले धुआं को फैलाती है खुशबू के कारण मदहोश होने वाले आदमियों को अपने वश में कर लेती है और अपने पसंदीदा ऋषि के रूप में बदलकर अपनी इच्छा पूरी करती है फिर वह आदमी या सब सुनकर स्वामी जी से कहता है इसका मतलब कि हमारे गांव के पुरुष उस भूतनी का शिकार हो रहे हैं अब लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए.
उसको नष्ट करने का कोई उपाय बताइए स्वामी जी तभी स्वामी ने कहा परकाया प्रवेश हो तभी स्वामी उस आदमी को एक माला देते हैं और कहते हैं इस माला को उस भूतनी के गले में डालना होगा तभी उसकी शक्ति कम पड़ेगी और केवल उसी समय हम उसका अंत कर पाएंगे तभी स्वामी जी उस आदमी के कान में परकाया प्रवेश के बारे में कुछ बताते हैं फिर वह आदमी वापस अपने गांव लौटते समय रास्ते में एक मरे हुए कबूतर को देखता है कबूतर को वह अपने साथ ले जाता है उस आदमी के गांव में प्रवेश करते ही गांव के सभी लोग उसके पास इकट्ठा हो गए और बड़ी बेसब्री से उस आदमी की सारी बात सुनने को इंतजार करते हैं तभी वह आदमी कहता है अब डरिए मत अब इस पीड़ा को हमेशा के लिए खत्म करने का इलाज मिल चुका है वह आदमी गांव वालों को कोमली के बारे में कुछ बता कर सब को डराना नहीं चाहता था आखिरकार अमावस्या की रात आ गई सभी लोग डर कर हमेशा की तरह अपने घर पर थे लेकिन वह आदमी सामने कबूतर को रखकर काया प्रवेश की तैयारी कर रहा था.
और वहां कब्रिस्तान में कोमली चमेली के फूल की माला को घुमा रही थी उस मदहोश करने वाले धुंआ को गाँव की तरफ आते ही उस आदमी को स्वामी जी की बात याद आ गई तभी वह आदमी जल्दी-जल्दी मंत्र पढ़ने लगा और स्वामी जी के द्वारा दिए गए माला को मरे हुए कबूतर के गले में डाल दिया और काया प्रवेश मंत्र पढ़ते हुए वह आदमी अपनी आत्मा को बाहर बुलाता है तुरंत उस आदमी की आत्मा बाहर निकल कर कबूतर के अंदर प्रवेश करती है मरा हुआ कबूतर हिलने लगता है और कबूतर धुंए से ऊपर उठकर कब्रिस्तान की तरफ उड़ जाता है गांव में सभी लोग धुंए की वजह से बेहोश रहते हैं एक आदमी बाहर आकर कब्रिस्तान की तरफ चलने लगता है वह अपने होश में नहीं रहता है.
कोमली उस उड़ते हुए कबूतर को देखकर और उसके गले में माला देख कर गुस्सा हो जाती है और उस कबूतर को पकड़ने की कोशिश करती है लेकिन वह कबूतर उस भूतनी की ताकत से बचकर उस भूतनी के गले में माला को डाल देता है और नीचे गिर जाता है कोमली भूतनी बहुत गुस्से में आकर उस आदमी के सर को फोड़ देती है इस तरह से कोमली जोर-जोर से चिल्लाकर उस माला की आग से निकलती हुई लपटों से जल जाती है धुंए में मदहोश व्यक्ति कब्रिस्तान पहुंच जाता है जब कोमली जलकर राख हो जाती है तो तुरंत व्यक्ति होश में आकर यह सब देख कर डर के मारे गांव में दौड़ कर जाकर सबको बताने लगता है सभी लोग दौड़कर कब्रिस्तान पहुंचते हैं और उस आदमी की लाश को देखकर सभी दुखी होकर रोने लगते हैं तभी स्वामी जी आते हैं और उस गांव में जो हुआ सब कुछ बताते हैं और फिर कुछ आदमी के मृत्यु शरीर का अंतिम संस्कार करते हैं और फिर कबूतर का मुंह लगा हुआ एक मूर्ति बनाते हैं और कहते हैं इस मूर्ति की पूजा आपके पूरे गांव में होनी चाहिए अबसे आपके गांव में कोई भी परेशान नहीं होगा ऐसा कहकर स्वामी जी चले गए फिर सीनू के साथी ने बताया कि इस तरह से वह भूत मर गई फिर सीनू कहता है लेकिन वह आदमी बहुत अच्छा था जो अपने गांव वालों के लिए अपनी जान दे दिया तो ये थी bhut ki kahani आशा करता हूं आपको दोनों कहानी बहुत अच्छी लगी होंगी।
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अंतिम शब्द
आज के इस आर्टिकल में मैंने आपको भूत की कहानी बताई है मुझे पूरी उम्मीद है कि आप को bhoot ki kahani पढ़ कर बहुत मजा आया होगा आपको कहानियां कैसी लगी कमेंट में जरूर बताएं कहानी अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें कहानी को शुरू से लेकर अंत तक पढ़ने के लिए आप सभी का शुक्रिया।

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